आपका हार्दिक अभिनन्दन है. आपको यह ब्लॉग कैसा लगा ,आपके सुझावों का इंतज़ार है...

Monday 5 December 2011

कोयल सबको गीत सुनाती!



कोयल सबको  गीत सुनाती!
- डॉ॰ देशबंधु शाहजहाँपुरी
कुहू-कुहूकर कोयल सबको मधुरिम गीत सुनाती!
फूलों के चेहरों पर खिलकर मुस्काहट सज जाती!!


मस्त पवन के साथ महककर झूम उठी हरियाली!
पीपल के पत्तों ने मिलकर ख़ूब बजाई ताली!!


बगिया में गेंदा-गुलाब संग सभी फूल मुस्काते!
मतवाले भँवरे गुंजनकर होली-गीत सुनाते!!

लगी झूमने फिर खेतों में सरसों पीली-पीली!
उसके फूलों से बतियाती तितली रंग-रँगीली!!

यह सब देख लगे धरती पर स्वर्ग उतर आया है!
फागुन के मौसम में चहुँदिश रंग बरस छाया है!!


 देशबंधु शाहजहाँपुरी

2 comments:

  1. बहुत सुंदर कविता ....

    ReplyDelete
  2. अच्छी लगी कविता ..

    क्षमा याचना :कहीं कहीं फॉण्ट के रंग और बड़े बड़े चित्र थोड़ी बाधा पहुंचा रहे है यदि ये चित्र साइड में हो तो ...
    यह मेरी व्यक्तिगत राय है कृपया अन्यथा न लीजियेगा

    ReplyDelete